बिलकुल सही मांग ,आखिर जिस देश के ४१ % लोग हिंदी को अपनी भाषा मानते हैं और केवल ३ % अंगरेजी को तो फिर क्यूँ?????? सिर्फ इसलिए की हम और हमारे नेता अंग्रेजियत के अन्धविश्वास और अन्धानुकरण में जीते हैं या फिर अंग्रेजी अपनाने को अपनी शान समझते हैं। या फिर वो नही जाते की जो अंग्रेजी नही जानते वो ऊपर आये या अपना हक़ पाए। और अंगरेजी की बढती अनिवार्यता इस बात का और पालन पोषण कर रही है।
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